सच कहें तो यह ज्ञान के विस्फोट का युग है। दुनिया भर का ज्ञान हमारे पास है, लेकिन हमें अपने आसपास की कोई जानकारी नहीं है। हमारी पुरानी गलियां, चौक-चौबारे खत्म होते जा रहे हैं, इसका रोना तो हर कोई रो रहा है, लेकिन क्या कोई इसकी सुध भी लेगा कि उसके साथ हमारी पूरी संस्कृति, सभ्यता, विरासत नष्ट होती जा रही है? ‘चौक पुराओ, मंगल गाओ’ के शब्द खोते चले जा रहे हैं, क्योंकि हम नई पीढ़ी तक चौक क्या होता है, उसे पूरते कैसे हैं, मंगल ध्वनि कैसे होती है, जैसी तमाम बातें नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
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