बौद्ध धर्म में कहा गया है कि समस्याओं के केवल दो प्रकार होते हैं- पहला प्रकार ऐसा होता है, जिसका कोई न कोई समाधान अवश्य होता है। ऐसी समस्याओं के बारे में चिंता करना बेकार है। जबकि दूसरी प्रकार की समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनका कोई समाधान नहीं होता।
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